Shodashi - An Overview

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

चक्रेश्या प्रकतेड्यया त्रिपुरया त्रैलोक्य-सम्मोहनं

Shodashi is recognized for guiding devotees toward larger consciousness. Chanting her mantra promotes spiritual awakening, encouraging self-realization and alignment with the divine. This reward deepens internal peace and wisdom, generating devotees far more attuned for their spiritual objectives.

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥

लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं

As one progresses, the second phase entails stabilizing this newfound awareness via disciplined procedures that harness the head and senses, emphasizing the critical role of energy (Shakti) During this transformative course of action.

ஓம் ஸ்ரீம் ஹ்ரீம் க்லீம் ஐம் ஸௌ: ஓம் ஹ்ரீம் ஸ்ரீம் க ஏ ஐ ல ஹ்ரீம் ஹ ஸ க ஹ ல ஹ்ரீம் ஸ க ல ஹ்ரீம் ஸௌ: ஐம் க்லீம் ஹ்ரீம் ஸ்ரீம் 

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के Shodashi रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

The title “Tripura” signifies the 3 worlds, and the term “Sundari” signifies one of the most gorgeous female. The title of the Goddess simply means quite possibly the most attractive Girl within the three worlds.

The worship of Tripura Sundari can be a journey in direction of self-realization, exactly where her divine elegance serves as a beacon, guiding devotees to the last word fact.

Phase 2: Get an image of Mahavidya Shodashi and position some flowers in front of her. Give incense sticks to her by lights the same before her image.

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥

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